डेस्क : देश का किसान खेत में कड़ी मेहनत करता है धूप में वह उन लोगों के लिए अन्न उगाता है जिसको पहचानता भी नहीं है और यह सारे काम वह बिना किसी शिकायत करते हुए पूरे करता है। ऐसे में सबसे कम आमदनी कमाते हुए उसे इस बात का फर्क नहीं पड़ता कि उसके साथ क्या हो रहा है, बल्कि उसको तो पूरे दिन किसानी करनी होती है और मन लगाकर अपनी फसलों पर ध्यान देना होता है। ऐसे में कई बार मौके आते हैं, जब फसल खराब हो जाती है और ऐसे में खराब मौसम की वजह से समय पर अंकुर नहीं आते और अनेकों तरह की प्राकृतिक विपदा से किसान की फसलों को गुजरना होता है। लेकिन, तब किसान धैर्य नहीं खोता और ऐसी चुनौतियों का डटकर सामना करता है।
आज हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में बताने वाले हैं, जिसने अपनी एक प्रतिष्ठित चार्टर्ड अकाउंटेंट की नौकरी को छोड़ कर खेती की और खेती करके अपने साथ ही अपने गांव वालों का नाम खूब रोशन किया है। आज हम बात करने वाले हैं राजीव गुप्ता की जो बिहार के गोपालगंज से हैं। उनका परिवार एक साथ रहता है। राजीव बिट्टू अपने परिवार में सबसे बड़े हैं। राजीव बिट्टू के पिताजी सरकारी सिंचाई विभाग में अभियंता है। उन्होंने अपनी पढ़ाई झारखंड के हजीरा बाग से पूरी की है। वहां पर वह सरकारी हॉस्टल में भी रहे जब उनकी पढ़ाई हजारीबाग से पूरी हो गई तो उन्होंने इंजीनियरिंग के लिए आईआईटी की तैयारी की लेकिन उसमें उनका सिलेक्शन नहीं हुआ और फिर उन्होंने सोचा कि अब वह बीकॉम करेंगे। इसके बाद उन्होंने सीए का कोर्स किया और फिर कड़ी मेहनत और परिश्रम करके वह सीए बन गए। जब वह खुद से कमाने लगे तो उन्होंने 5000 रूपए में रूम रेंट पर ले लिया और वहीं रहने लगे। उनको महीने में चालीस हजार तनख्वाह मिलती थी।
धीरे-धीरे करके उन्होंने अपनी जिंदगी आगे बढ़ाई और साल 2009 में शादी कर ली। इसके बाद राजीव बिट्टू का मन नहीं लगा उनको ऐसा लगने लगा कि उनकी जिंदगी में कुछ कमी है जिसके चलते वह 2013 में अपनी बेटी के साथ वापस बिहार गोपालगंज आ गए। उनका कहना है कि उनकी बेटी गांव के लोगों के साथ बहुत खुश रहती है लेकिन एक दिन ऐसी घटना हुई जिसको लेकर वे आश्चर्यचकित हो गए। घर पर उनकी बेटी को एक किसान खिलाने आया था लेकिन किसान की गोदी में वह नहीं गई क्योंकि किसान के कपड़े मैले थे। यह सब देखकर राजीव बिट्टू को बहुत बुरा लगा और उन्होंने सोचा कि वह खेती करेंगे और लोगों को समझाएंगे कि किसानों की जरूरत कितनी ज्यादा है। इसके चलते उन्होंने अपनी सीए की नौकरी छोड़ दी और खेती का रास्ता अपना लिया राजीव का कहना है कि आम लोगों को इसका अंदाजा भी नहीं है कि मौसम की मार के बावजूद भी किसान को कितनी मेहनत करनी होती है।
राजीव बिट्टू ने किसानी का कार्य करने के लिए सबसे पहले खेती की जानकारी इकट्ठा करनी शुरू की। उसके बाद वह कृषि विभाग में मौजूद शिक्षकों से सलाह लेने लगे और उन्होंने पूछा कि कौन सी खेती करना सही रहेगा? जब उनको पूरी जानकारी मिल गई तो उनके पास एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई जो थी जमीन कि, आखिर उनके पास जमीन ही नहीं थी। इसके बाद उन्होंने दूर जाकर एक दूसरे किसान से बात की और उसी से 10 एकड़ की जमीन ले ली। उन्होंने अपना काम लीज़ पर शुरू किया था। जो भी मुनाफा होता था उसको 33 फ़ीसदी किसान को देना होता था। ऐसे में एक सांठगांठ तैयार की और अपना काम शुरू किया।
राजीव बिट्टू ने 7 एकड़ में खेती की शुरुआत की और तरबूज एवं खरबूजे उगाने शुरू किए। शुरुआती खर्चा ढाई लाख रुपए का बिट्टू द्वारा ही किया गया था। लेकिन उनकी इस कठिन परिश्रम से पहली कमाई सीधा 7 से 8 लाख की हुई। जैसे ही यह खबर लोगों को पता चली तो सब ने राजीव बिट्टू को बधाई दी। आज के समय में राजीव बिट्टू का टर्नओवर एक करोड़ से ऊपर का है। इस वक्त राजीव बिट्टू के नीचे 45 मजदूर काम कर रहे हैं और उन्होंने 13 एकड़ जमीन लीज पर ली है। बात करें बीते 4 वर्षों की तो राजीव बिट्टू ने 50 लाख का व्यवसाय कर लिया है। राजीव बिट्टू की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह मौसम की मार से परेशान रहते हैं। कभी सूखा पड़ता है तो कभी अचानक बारिश आ जाती है। ऐसे में उनकी मदद करने उनके दोस्त आते हैं जिनमें 33 वर्षीय शिवकुमार और 37 वर्षीय देवराज है। राजीव इस काम के साथ-साथ एक एनजीओ भी चलाते हैं। एनजीओ का नाम है अंकुर रूरल एंड ट्राईबल डेवलपमेंट सोसायटी। राजीव जैसे लोग समाज में अपनी अहमियत समझते हैं और अपनी अहमियत के चलते हुए वह एक अलग छाप छोड़ते हैं।