माँ के देहांत और शादी के दबाव के चलते घर छोड़कर भागी, लिया किराये का कमरा और PCS की तैयारी कर बनी अधिकारी

डेस्क : भारतीय समाज में शुरू से ही यह परंपरा रही है कि लड़कियों की पढ़ाई लिखाई ना करवा कर उनको जल्द से जल्द उनके ससुराल विदा कर दिया जाता है। यह कहानी आपको हर स्तर के घर पर देखने को मिलेगी। लेकिन, वही इस कहानी को खंडित करती हैं कुछ साहस भरी लड़कियां जिनमें इतनी हिम्मत होती है कि वह समाज की इस रूढ़ियों से लड़कर अपनी नई जिंदगी शुरु कर सकें।

आज हम बात करने वाले हैं मेरठ की संजू रानी वर्मा से जिन्होंने शादी का विकल्प ना चुनते हुए अपने सपनों का विकल्प चुना और एक पससीएस अधिकारी बनी। साल 2013 में उनकी मां की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद लोगों ने उन पर शादी का दबाव बनाने की कोशिश की जिसके चलते वह अपना घर छोड़कर भाग गई। तब वह दिल्ली यूनिवर्सिटी से मास्टर की पढ़ाई कर रही थी।

वह बताती है कि उनके पास कोई भी विकल्प नहीं था। वह अपने सपनों को नहीं छोड़ सकती थी, घर छोड़ना जरूरी हो गया था। उन्होंने अपने परिवार वालों को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। जब उन्होंने घर छोड़ दिया था तो उनके पास पैसे कमाने का कोई जरिया नहीं था। इसके लिए उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया। ट्यूशन से जो पैसा मिलता था, उससे वह अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करती थी। इसके बाद धीरे-धीरे प्राइवेट स्कूल में भी संजू को पार्ट टाइम टीचिंग का काम मिल गया और फिर वहां से उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी, वह बताती हैं कि उनके घर वाले अक्सर कहा करते थे कि अब तुम पढ़ाई लिखाई छोड़ कर अपना घर बसा लो लेकिन मुझे यह मंजूर नहीं था।

घर से भागने के लिए उनको कोई ख़ास रणनीति नहीं बनानी पड़ी बल्कि उन्होंने चुपचाप एक किराए का कमरा ले लिया और उस किराए के कमरे में अपने सपनों की तैयारी शुरू कर दी। इस पढ़ाई के दौरान उनकी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई बीच में ही रुक गई और उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए एक कोचिंग सेंटर खोला। संजू बताती है कि साल 2013 बहुत ही कठिनाइयों से भरा हुआ था उस वक्त उनकी मां का देहांत हो गया था और उनके ऊपर शादी का दबाव आ गया था उन्होंने अपना घर छोड़कर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और साथ-साथ अपनी तैयारी भी पूरी की। अब संजू रानी एक टैक्स ऑफिसर है। उन्होंने UPPSC की परीक्षा 2018 में पास कर ली थी। लेकिन फिर भी उनके मन में आईएएस बनने की चाह है उनका सपना एक जिलाधिकारी बनने का है।

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